इंदौर। इन दिनों कोरोना वायरस की सक्रियता के चलते सभी जगह लॉकडाउन चल रहा है। लॉकडाउन के कारण सड़कों पर वे ही लोग निकल पा रहे हैं, जिनके पास या तो पास हो या फिर वे आवश्यक वस्तुएं , जोकि एक्जेम्ट श्रेणी में रखी है लेकिन देखने में यह आ रहा है कि मुफ्त के अनाज के चक्कर में लोग लॉकडाउन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते दिख रहे हैं और पुलिस भी ऐसे लोगों के खिलाफ कुछ कदम नहीं उठा पा रही है।
लॉकडाउन के चलते एक तरफ तमाम विभिन्न सामानों के विक्रय की दुकानें बंद हैं। यह अलग बात है कि कई जगह समाजसेवी तथा सामाजिक संस्थाएं जरूरतमंद लोगों की हर स्तर पर मदद कर रही हैं और खासतौर पर दाल, चावल, आटा जैसी सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही हंै। एक ओर जहां राजनीतिक दलों से जुड़े लोग, नेता, पदाधिकारी यह सामग्री उपलब्ध करवा रहे हैं तो दूसरी तरफ सामाजिक संस्थाएं भी यही उपक्रम दोहरा रही हैं इन दिनों हजारों लोग, संस्थाएं लाखों लोगों की मदद कर रही हैं लेकिन मदद में कहीं ना कहीं नियमों की अनदेखी भी हो रही है। जिस तरह से इंदौर में कोरोना वायरस की सक्रियता बनी हुई है और जिस प्रकार की कोरोना संक्रमण के मामले जिस गति से कम होना चाहिए नहीं हो रहे हैं। उसमें ऐसे लोगों की भूूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में हालात यह है कि जिन लोगों को पता चलता है कि फलानी जगह सामान मिल रहा है वह झुंड बनाकर वहां पहुंच जाते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या चौराहों से लगाकर लॉकडाउन में बैरिकैड्स लगाकर व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने वाली पुलिस को यह सब दिखाई नहीं देता। महिलाओं का यह मसूह एक तरह से कोरोना कैरियर की भूमिका भी निभा रही है। इस बात से इनकार नहींं किया जा सकता। कुल मिलाकर खाद्य सामग्री की मदद जो लोग कर रहे हैं, वह सकंट की घड़ी में मानवीयता से भरा काम कर रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं इससे कोरोना संक्रण भी अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा मिलता नजर आ रहा है।
मुफ्त राशन के चक्कर में लोग लॉकडाउन की उड़ा रहे धज्जियां